राज कपूर का उदास सिनेमैटिक आर्टवर्क

राज कपूर: ‘मेरा नाम जोकर’ से बॉबी तक की अनसुनी कहानी

राज कपूर, हिंदी सिनेमा का वो नाम जिसे लोग शोमैन कहते हैं। लेकिन उनकी जिंदगी में एक ऐसा दौर भी आया, जिसने उन्हें तोड़ दिया। यह कहानी सिर्फ फिल्मों की नहीं है बल्कि हौसले, संघर्ष और दोबारा खड़े होने की है।

‘मेरा नाम जोकर’ का सफर

1963 में राज कपूर ने एक फिल्म शुरू की जिसका नाम था “मेरा नाम जोकर”। यह फिल्म उनकी ड्रीम प्रोजेक्ट थी। लेकिन इसे बनाने में इतनी मुश्किलें आईं कि फिल्म को पूरा होने में पूरे सात साल लग गए और आखिरकार यह 1970 में रिलीज हुई।

सात साल की मेहनत और संघर्ष ने इस फिल्म का बजट आसमान पर पहुंचा दिया। उस समय के हिसाब से इस फिल्म को बनाने में 1 करोड़ रुपये लगे। 1970 में 1 करोड़ रुपये का मतलब था बहुत बड़ी रकम।

घर बेचकर पूरी की फिल्म

राज कपूर जी ने इस फिल्म को पूरा करने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया। यहां तक कि उन्होंने अपना घर तक बेच दिया। लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया।

फिल्म रिलीज हुई और बुरी तरह फ्लॉप हो गई। न केवल उनका पैसा डूबा बल्कि उनका आत्मविश्वास भी टूट गया।

रशिया में फिल्म का कमाल

नुकसान की भरपाई करने के लिए राज कपूर ने जल्दबाजी में फिल्म के सारे राइट्स सिर्फ 15 लाख रुपये में रूस को बेच दिए। लेकिन असली ट्विस्ट यहां आया—जब यह फिल्म रूस में रिलीज हुई तो वहां इसने धूम मचा दी।

राज कपूर बॉबी फिल्म रूस में

फिल्म ने रूस में लगभग 15 करोड़ रुपये कमाए। आज की वैल्यू में यह रकम लगभग 1050 करोड़ होती। लेकिन अफसोस, राज कपूर को एक पैसा भी नहीं मिला क्योंकि उन्होंने पहले ही राइट्स बेच दिए थे। इसे अगर बदकिस्मती न कहें तो और क्या कहेंगे?

डिप्रेशन और फिर से वापसी

इस हादसे के बाद राज कपूर गहरे डिप्रेशन में चले गए। लेकिन उनकी खासियत यही थी कि उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने फिर से अपनी पूरी ताकत और पैसे से नई फिल्म बनाने की ठानी।

1973 में उन्होंने फिल्म “बॉबी” बनाई। यह फिल्म उनके बेटे ऋषि कपूर की डेब्यू फिल्म थी।

‘बॉबी’ बनी सुपरहिट

“बॉबी” रिलीज होते ही ब्लॉकबस्टर साबित हुई। इसने लगभग 19 करोड़ रुपये की कमाई की, जो आज के समय में लगभग 2800 करोड़ रुपये के बराबर होती है। राज कपूर फिर से हिंदी सिनेमा के राजा बन गए।

ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया 'बॉबी' फिल्म के रोमांटिक सीन में

सीख

राज कपूर की कहानी हमें यही सिखाती है कि जिंदगी में चाहे कितनी भी बड़ी असफलता क्यों न मिले, हार मान लेना कभी विकल्प नहीं होता। हर असफलता के बाद एक नई शुरुआत छिपी होती है। अगर राज कपूर “मेरा नाम जोकर” के बाद हार मान लेते तो शायद हमें “बॉबी” जैसी क्लासिक फिल्म कभी देखने को न मिलती।

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हसन बाबू एक passionate ब्लॉगर और कंटेंट क्रिएटर हैं, जो बॉलीवुड की कहानियाँ, स्टार्स के अनकहे किस्से और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी रोचक जानकारी अपने पाठकों तक पहुँचाते हैं। इनका उद्देश्य है कि पाठक केवल खबरें ही नहीं बल्कि सच्ची कहानियों के पीछे छुपे अनुभव और संघर्ष को भी समझ सकें।

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