बॉलीवुड के इतिहास में कुछ गाने ऐसे होते हैं, जो सिर्फ़ संगीत के लिए ही नहीं बल्कि अपने बोल और विवादों के लिए भी याद रखे जाते हैं। 1993 में रिलीज़ हुई फिल्म खलनायक का गाना “चोली के पीछे क्या है?” इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। यह गाना उस दौर में इतना हिट हुआ कि इसके कैसेट्स रिकॉर्ड तोड़ बिके, लेकिन साथ ही इसने भारी विवाद भी खड़ा कर दिया। आइए जानते हैं इस गाने की कहानी, इसकी लोकप्रियता, विवाद, और 2024 में इसके रीमेक तक का पूरा सफर।
खलनायक और गाने की अपार लोकप्रियता
सुभाष घई की फिल्म खलनायक 1993 में रिलीज़ हुई थी। फिल्म में संजय दत्त, माधुरी दीक्षित और जैकी श्रॉफ जैसे बड़े सितारे थे। लेकिन फिल्म जितनी चर्चा में रही, उससे कहीं ज़्यादा चर्चा इसके गाने “चोली के पीछे क्या है” की हुई। लक्ष्मीकांत–प्यारेलाल के संगीत और अल्का याग्निक व इला अरुण की आवाज़ में गाया गया यह गीत चार्टबस्टर बन गया।
इस गाने ने लोकप्रियता का ऐसा रिकॉर्ड बनाया कि सिर्फ़ एक हफ़्ते में 1 करोड़ से ज़्यादा कैसेट्स बिक गए। 90 के दशक में यह किसी भी गाने के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जाती थी। माधुरी दीक्षित का डांस और गाने का धुन आज भी लोगों को झूमने प
क्यों हुआ इतना बड़ा विवाद?
हालांकि गाना सुपरहिट रहा, लेकिन इसके बोलों पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। “चोली के पीछे क्या है?” को डबल मीनिंग समझा गया और कई समाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया। विरोध इतना बढ़ा कि ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन ने इस गाने को बैन कर दिया। यानी उस दौर में लोग इसे टीवी या रेडियो पर नहीं सुन सकते थे, बस कैसेट और रिकॉर्ड प्लेयर्स के ज़रिए ही गाना सुन पाते थे।
कई लोगों का मानना था कि इस गाने ने भारतीय संस्कृति और महिलाओं की गरिमा का मज़ाक उड़ाया। वहीं युवाओं के बीच यह गाना डांस पार्टियों और शादियों में धूम मचा रहा था। यानी जनता बंटी हुई थी – कुछ लोग इसे अश्लील कह रहे थे, तो कुछ इसे सिर्फ़ एंटरटेनमेंट के तौर पर ले रहे थे।
राजस्थानी फोक से जुड़ा कनेक्शन
इस गाने को लिखने वाले मशहूर गीतकार आनंद बक्षी ने बाद में साफ किया कि इस गाने का आइडिया दरअसल राजस्थानी लोकगीत से लिया गया है। राजस्थान में कई लोकगीत हैं, जिनमें इसी तरह के बोल मिलते हैं। लोकसंगीत में यह आम है कि जीवन, समाज और रिश्तों को प्रतीकात्मक भाषा में गाया जाता है।
आनंद बक्षी ने कहा कि अगर लोकगीतों को ही अश्लील मान लिया जाए, तो हम अपनी परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर से नज़रें चुराने लगेंगे। यानी इस गाने का मकसद अश्लीलता नहीं, बल्कि फोक कल्चर को मॉडर्न अंदाज़ में पेश करना था।
नीना गुप्ता की किताब में जिक्र
मशहूर अभिनेत्री नीना गुप्ता ने अपनी आत्मकथा “Sach Kahun Toh” में भी इस गाने से जुड़ी कंट्रोवर्सी का जिक्र किया है। उन्होंने बताया कि किस तरह मीडिया और पब्लिक डिबेट्स में इस गाने को लेकर चर्चा होती रही। यह उस दौर का इतना हॉट टॉपिक बन गया था कि लगभग हर घर में इस पर राय बन चुकी थी।
2024 में “Crew” फिल्म में रीमेक
दिलचस्प बात यह है कि 2024 में रिलीज़ हुई फिल्म Crew में इसी गाने का रीमेक इस्तेमाल किया गया। करीना कपूर, कृति सेनन और तब्बू स्टारर इस फिल्म में जब यह गाना आया, तो लोग Nostalgia में डूब गए। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि इस बार गाने को लेकर कोई बड़ी कॉन्ट्रोवर्सी नहीं हुई।
सोशल मीडिया पर लोग इस गाने को एंजॉय कर रहे थे, शादियों और पार्टियों में इसे बजाया जा रहा था, लेकिन 90 के दशक जैसा विरोध कहीं देखने को नहीं मिला। इससे साफ है कि 30 सालों में समाज की सोच और स्वीकार्यता में बड़ा बदलाव आया है।

क्या बदला है तीस सालों में?
यह सवाल आज भी लोगों के मन में है कि 1993 में जिस गाने को बैन करना पड़ा, वही गाना 2024 में बिना विवाद के आसानी से स्वीकार क्यों कर लिया गया? क्या पहले के लोग ज्यादा संवेदनशील थे या आज की ऑडियंस ज्यादा खुले विचारों वाली हो गई है?
दरअसल, इसके पीछे कई कारण हैं –
- 90 के दशक में मीडिया के साधन सीमित थे, टीवी और रेडियो ही मुख्य माध्यम थे।
- आज सोशल मीडिया और इंटरनेट ने सोच को ज्यादा उदार और ग्लोबल बना दिया है।
- समाज पहले की तुलना में पॉप कल्चर और बोल्ड कंटेंट को ज्यादा आसानी से स्वीकार करता है।
आख़िरी बात
“चोली के पीछे क्या है” सिर्फ़ एक गाना नहीं, बल्कि उस दौर की सोच, समाज और पॉप कल्चर की टकराहट का प्रतीक है। यह गाना हमें याद दिलाता है कि कला को देखने का नज़रिया वक्त के साथ बदलता रहता है।
1993 में जहां इसे बैन करना पड़ा, वहीं 2024 में इसे खुले दिल से स्वीकार किया गया। अब सवाल ये है – क्या यह बदलाव समाज की परिपक्वता का संकेत है या हमारी उदासीनता का? इस पर आपकी क्या राय है? कमेंट में ज़रूर बताइए।

हसन बाबू एक passionate ब्लॉगर और कंटेंट क्रिएटर हैं, जो बॉलीवुड की कहानियाँ, स्टार्स के अनकहे किस्से और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी रोचक जानकारी अपने पाठकों तक पहुँचाते हैं। इनका उद्देश्य है कि पाठक केवल खबरें ही नहीं बल्कि सच्ची कहानियों के पीछे छुपे अनुभव और संघर्ष को भी समझ सकें।
हसन बाबू एक passionate ब्लॉगर और कंटेंट क्रिएटर हैं, जो बॉलीवुड की कहानियाँ, स्टार्स के अनकहे किस्से और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी रोचक जानकारी अपने पाठकों तक पहुँचाते हैं। इनका उद्देश्य है कि पाठक केवल खबरें ही नहीं बल्कि सच्ची कहानियों के पीछे छुपे अनुभव और संघर्ष को भी समझ सकें।