Bollywood movies lack fresh stories and writers struggle for recognition

बॉलीवुड में अच्छी कहानियों का संकट: राइटर्स की दुश्वारियां और इंडस्ट्री का सच


Excerpt:

बॉलीवुड में बार-बार वही पुरानी कहानियां क्यों दोहराई जाती हैं? असली वजह राइटर्स की हालत और इंडस्ट्री की मजबूरियों में छिपी है — पढ़िए पूरी कहानी।


बॉलीवुड हमेशा से हमारे देश की भावनाओंबॉलीवुड हमेशा से हमारे देश की भावनाओं, सपनों और मनोरंजन का बड़ा ज़रिया रहा है। लेकिन पिछले कुछ सालों से दर्शकों का सवाल यही है—“अच्छी फिल्में क्यों नहीं बन रहीं?” दर्शकों का कहना है कि कहानियों में वही घिसा-पिटा फॉर्मूला बार-बार आता है।

✍️ राइटर की कमाई का सच

एक स्क्रिप्ट राइटर ने बताया कि असाइनमेंट पर मिलने वाला साइनिंग अमाउंट केवल 10% होता है। स्क्रिप्ट पूरा होने पर मिलता है और 10%। बाक़ी 80% तब मिलता है जब स्क्रिप्ट पर कोई एक्टर हाँ कहे और शूटिंग शुरू हो जाए। अगर फिल्म नहीं बनी — तो 80% गायब।

🍲 दाल-रोटी चलाना मुश्किल

इसलिए राइटर्स को एक साथ कई (कभी-कभी 5–6) प्रोजेक्ट्स लिखने पड़ते हैं ताकि महीने का गुज़ारा हो सके। पर इतने काम के दबाव में वे असल में नया और ताज़ा लिखा कैसे दें? यही कारण है कि नयापन कम होता जा रहा है।

🏢 क्रिएटिविटी बनाम कॉरपोरेट कल्चर

आज बड़े स्टूडियोज़ में निर्णय अक्सर मार्केटिंग, बजट और रिस्क-मैनेजमेंट के आधार पर होते हैं—कभी कलात्मकता पर। इसलिए MBA-प्रोफाइल वाले लोग स्क्रिप्ट चुनते हैं और अक्सर सेफ-फॉर्मूला को तरजीह दी जाती है।

🎭 राइटर को पहचान क्यों नहीं मिलती?

फिल्म के पोस्टर पर डायरेक्टर और स्टार का नाम बड़े अक्षरों में दिखाई देता है फिल्म के पोस्टर पर डायरेक्टर और स्टार का नाम बड़े अक्षरों में दिखाई देता है, पर राइटर का क्रेडिट अक्सर कोने में छोटा रहता है। दर्शक शायद कहानी याद रखें, पर लेखक का नाम अक्सर याद नहीं रहता।

💰 मेहनत बनाम इनाम

अगर किसी राइटर की स्क्रिप्ट बड़ी फिल्म बनती है तो उसे अच्छा पारिश्रमिक मिल सकता है—पर ये मौके सीमित हैं। सामान्यतः अधिकांश राइटर्स लगातार संघर्ष करते हैं, नाम और अहसान दोनों कम मिलता है।

🌀 नयापन क्यों गायब हो रहा है?

जब राइटर्स को पैसों, स्टूडियो की पसंद और स्टार-कास्ट की सहमति तीनों चीज़ों के लिए पिसना पड़ता है, तो जोखिम लेकर कुछ नया देने में हिचक पैदा होती है।

✅ समाधान क्या है?

  • राइटर्स को उचित और सुरक्षित भुगतान दिया जाए।
  • स्क्रिप्ट-निर्णय में क्रिएटिव लोगों की आवाज़ बढ़ाई जाए।
  • दर्शकों को भी राइटर्स की अहमियत समझनी चाहिए—किसी फिल्म का असली हीरो अक्सर उसकी कहानी होती है।

🔚 आखिरी बात

सितारे और गाने बड़ी चीजें हैं, पर अगर कहानी में दम नहीं है तो फिल्म फीकी लगती है। राइटर्स को सम्मान, नाम और उचित मुआवज़ा मिलने पर ही बॉलीवुड में नया और दमदार सिनेमा लौटेगा।

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❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

Q1. बॉलीवुड में अच्छी फिल्में क्यों नहीं बन रहीं?

क्योंकि राइटर्स पर आर्थिक और कॉर्पोरेट दबाव है, जिसकी वजह से वे रिस्क नहीं ले पाते और वही पुरानी कहानियां दोहराई जाती हैं।

Q2. राइटर की कमाई कैसे होती है?

आम तौर पर: 10% साइनिंग पर, 10% स्क्रिप्ट अप्रूवल पर, और बाकी 80% फिल्म के सेट होने पर।

Q3. राइटर्स को कैसे बेहतर सुरक्षा मिले?

स्पष्ट कॉन्ट्रैक्ट, एडवांस पेमेंट और क्रिएटिव क्रेडिट की गारंटी से। साथ ही इंडस्ट्री-लेवल कैमिनिटी और यूनियन समर्थन से।


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हसन बाबू एक passionate ब्लॉगर और कंटेंट क्रिएटर हैं, जो बॉलीवुड की कहानियाँ, स्टार्स के अनकहे किस्से और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी रोचक जानकारी अपने पाठकों तक पहुँचाते हैं। इनका उद्देश्य है कि पाठक केवल खबरें ही नहीं बल्कि सच्ची कहानियों के पीछे छुपे अनुभव और संघर्ष को भी समझ सकें।

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