अक्षय कुमार और रानी मुखर्जी बॉलीवुड सिनेमैटिक पोस्टर

रानी मुखर्जी और अक्षय कुमार: कभी साथ क्यों नहीं दिखे ये दो बड़े सितारे?

क्या आपने सोचा है कि इंडस्ट्री के दो बड़े नाम—रानी मुखर्जी और अक्षय कुमार—ने आज तक एक साथ स्क्रीन क्यों शेयर नहीं की? जवाब केवल कास्टिंग की किस्मत नहीं, बल्कि ईगो क्लैश, इमेज और टाइमिंग की दिलचस्प कहानी में छिपा है।

रानी मुखर्जी और अक्षय कुमार के बीच न केवल कास्टिंग के मामले हैं, बल्कि उनके बीच एक जटिल अक्षय कुमार रानी मुखर्जी विवाद भी रहा है, जो दर्शकों के लिए रुचिकर है।

90s का दौर: रानी और अक्षय की अलग-अलग राहें

90 का दशक बॉलीवुड के लिए ट्रांज़िशन का समय था। रानी मुखर्जी ने गुलाम और कुछ कुछ होता है से अपनी स्टार वैल्यू स्थापित कर ली थी। दूसरी ओर अक्षय कुमार ‘एक्शन हीरो’ की इमेज में फिक्स दिखाई देते थे—स्टंट-ड्रिवन फिल्मों की वजह से कई आलोचक उन्हें “बी-ग्रेड एक्शन स्टार” कहकर खारिज भी कर देते थे।

रानी जहां बड़े बैनर्स की पसंद बनती जा रही थीं, वहीं अक्षय अपनी जगह मजबूत करने के लिए लगातार कोशिश कर रहे थे। ये अलग-अलग ट्रैजेक्टरी आगे चलकर दोनों के बीच की दूरी का कारण भी बनी।

‘खिलाड़ियों का खिलाड़ी’ और रानी का इंकार

इसी दौर में रानी को अक्षय के साथ खिलाड़ियों का खिलाड़ी ऑफर हुई। खबरों के मुताबिक, रानी ने फिल्म यह कहते हुए ठुकरा दी कि—

“अक्षय का स्टैंडर्ड ऐसा नहीं है कि मैं उनके साथ फिल्म करूँ।”

इस कथित बयान के बाद दोनों कलाकारों के बीच प्रोफेशनल दूरी और बढ़ गई, और ऑन-स्क्रीन जोड़ी बनने के चांस लगभग खत्म हो गए।

अक्षय कुमार भूल भुलैया हॉरर कॉमेडी सीन

समय का खेल: अक्षय का उदय, रानी का ढलान

2000 का दशक अक्षय कुमार के लिए गेम-चेंजर साबित हुआ। हेरा फेरी, गरम मसाला, भूल भुलैया, वेलकम जैसी हिट फिल्मों ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया। अक्षय अब सिर्फ एक्शन नहीं, कॉमेडी और फैमिली एंटरटेनमेंट का भी भरोसेमंद चेहरा बन गए।

इसी बीच रानी मुखर्जी का करियर ग्राफ उतार-चढ़ाव से गुजरने लगा। ब्लैक और हम-तुम जैसी फिल्मों के बाद एक फेज ऐसा आया जब उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाईं।

यशराज का प्लान और अक्षय का मना करना

रानी के करियर को फिर से गति देने के लिए यशराज फिल्म्स ने एक नई स्क्रिप्ट तैयार की और प्रोजेक्ट को मजबूती देने हेतु अक्षय कुमार की लोकप्रियता का सहारा लेने की योजना बनाई।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जब स्क्रिप्ट अक्षय तक पहुँची तो उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया—

“मैं तो बी-ग्रेड हीरो हूँ… रानी मेरे साथ कैसे काम कर सकती हैं?”

इस जवाब के साथ लगभग स्पष्ट हो गया कि दोनों सितारे निकट भविष्य में साथ नजर नहीं आएंगे।

‘टशन’ और करीना कपूर की एंट्री

उसी कहानी का अगला अध्याय था टशन। रानी को रिप्लेस करते हुए निर्माताओं ने करीना कपूर को साइन किया। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बहुत बड़ी हिट नहीं बन पाई, लेकिन इसने एक तथ्य पक्का कर दिया—अक्षय और रानी की जोड़ी पर्दे पर बनना लगभग असंभव है।

टशन फिल्म के कलाकार - सैफ करीना अक्षय

क्यों खास है यह किस्सा?

  • समय और स्टारडम कैसे किसी भी कलाकार की इमेज बदल देता है—इसका बेहतरीन उदाहरण।
  • ईगो क्लैश और पर्सनल चॉइस का फिल्म इंडस्ट्री की कास्टिंग पर गहरा असर पड़ता है।
  • कभी-कभी एक बयान वर्षों तक किसी जोड़ी को साथ आने से रोक देता है।

आखिरी बात

रानी मुखर्जी और अक्षय कुमार—दोनों अपने-अपने समय के बेहद सफल सितारे रहे हैं, लेकिन किस्मत, इमेज और परिस्थितियों ने उन्हें साथ आने नहीं दिया। शायद अगर कभी दोनों ने साथ काम किया होता, तो दर्शकों को एक नई सुपरहिट ऑन-स्क्रीन जोड़ी मिलती।

अब सवाल आपसे—क्या अक्षय का मना करना सही निर्णय था या उन्हें पूरी तरह प्रोफेशनल रहकर प्रोजेक्ट कर लेना चाहिए था? अपनी राय कमेंट में ज़रूर लिखें।

FAQs

क्या रानी मुखर्जी और अक्षय कुमार ने कभी साथ काम किया है?

नहीं, अब तक किसी फिल्म में दोनों साथ नजर नहीं आए हैं—यही इस लेख का मुख्य विषय है।

रानी ने ‘खिलाड़ियों का खिलाड़ी’ क्यों ठुकराई?

कथित तौर पर रानी को अक्षय की इमेज उस समय उपयुक्त नहीं लगी, इसलिए उन्होंने प्रोजेक्ट नहीं किया।

अक्षय ने बाद में यशराज के प्रोजेक्ट से इनकार क्यों किया?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने पुराने बयान पर तंज कसते हुए प्रोजेक्ट नहीं करने का फैसला लिया।


नोट: ऊपर दिए गए कुछ हिस्से मीडिया रिपोर्ट्स/इंडस्ट्री किस्सों पर आधारित हैं; आधिकारिक बयानों से भिन्न हो सकते हैं। प्रकाशन से पहले तथ्यों का क्रॉस-चेक करना बेहतर रहेगा।

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हसन बाबू एक passionate ब्लॉगर और कंटेंट क्रिएटर हैं, जो बॉलीवुड की कहानियाँ, स्टार्स के अनकहे किस्से और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी रोचक जानकारी अपने पाठकों तक पहुँचाते हैं। इनका उद्देश्य है कि पाठक केवल खबरें ही नहीं बल्कि सच्ची कहानियों के पीछे छुपे अनुभव और संघर्ष को भी समझ सकें।

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